Wednesday, June 6, 2012

Shayari 1 - Iljaam

ऐ मोहब्बत तू अब हमें कोई पैगाम न दे,
दर्द मिलता हैं जब मोहब्बत अंजाम न दे,
हम तोह बेवफा को भी बेवफाई का नाम न दे,
वह भूलकर हमें सजाये हुए हैं अपनी महफ़िल,
ऐ ज़ुल्फी, तू उन्हें भूल जाने का इल्जाम न दे.

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